राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर करोड़ों लोगों का 500 वर्ष पुराना इंतजार खत्म हुआ । आज 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकेंड पर श्री राम मंदिर का शिलान्यास किया । उन्होंने रजत शिलाओं से भव्य मंदिर की आधारशिला रखी। काशी और अयोध्या के 21 पुजारियों की एक टीम ने यह पूजा करवायी । PM मोदी ने 30 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद आज रामलला के दर्शन किये और दंडवत प्रणाम किया।
कुछ ऐसा होगा मंदिर का निर्माण
आपको बता दें की राम मंदिर की डिजाइन वास्तुकार निखिल सोमपुरा ने तैयार की है । मंदिर की लंबारई 268 फीट होगी ऊंचाई 161 फीट और चौड़ाई 140 फीट रहेगा। राम मंदिर में 212 खंभे होंग । पहली मंज़िल में 106 खंभे होंगे और दूसरी मंज़िल में 106 खंभे होंगे। जबकि हर खंभे में 16-16 मूर्तियां लगाईं जाएंगी। मंदिर में दो चबूतरे भी बनाये जायेंगे तथा परिक्रमा के लिए 10 फीट चौड़ा मार्ग भी होगा।
45 एकड़ में रामकथा कुंज बनेगा. भू-तल में सिंहद्वार, गर्भगृह, नृत्यद्वार, रंगमंडप बनेगा । प्रथम तल पर राम दरबार में उपस्थित सभी मूर्तियां लगाईं जाएंगी और मंदिर में 24 चौखट होंगी । यानी 24 दरवाजें होंगे । राम मंदिर के पूरे परिसर में वेदों के अध्ययन के लिए एक वैदिक पाठशाला भी बनाई जाएगी । इसके अलावा इस परिसर में एक गौशाला और धर्मशाला का भी निर्माण किया जायेगा ।
अयोध्या में राम मंदिर तक पहुंचने के लिए चार द्वारों का निर्माण किया जाएगा। जिससे श्रद्धालुओं को मंदिर तक आसानी से पहुँचाया जा सके, इसके लिए हर दिशा में एक दरवाजे का निर्माण किया जायेगा।
पहला दरवाजा
सबसे पहला दरवाजा भगवान् राम के पिता राजा दशरथ के महल की तरफ से होगा.
दूसरा दरवाजा
दूसरा दरवाजा गोकुल भवन की तरफ से होगा.
तीसरा दरवाजा
तीसरा दरवाजा टेढ़ी बाजार की तरफ से होगा
चौथा दरवाजा
और चौथा दरवाजा क्षीरेश्वर नाथ मंदिर की ओर से होगा.
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कब तक बनकर तैयार होगा मंदिर और कितना आएगा खर्च
राम मंदिर को पूरी तरह बनकर तैयार होने में कम से कम तीन साल का समय लगेगा । राम मंदिर के शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा के मुताबिक मंदिर बनने में कम से कम 100 करोड़ का खर्च आयेगा । और ये खर्च बढ़ भी सकता है, क्योंकि निर्माण की समय सीमा अगर बढ़ी तो बजट भी बढ़ेगा।
राम जन्मभूमि की नींव में रखें जाएंगे नाग नागिन
हमारे ग्रंथों के अनुसार, शेषनाग सभी नागों के राजा हैं। शेषनाग भगवान बिष्णु की शय्या बनकर उनको सुख पहुंचाते हैं और उनके अनन्य भक्त भी हैं। मान्यता है की भवन की नींव में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा रखने से भवन में भगवान का वास होता है और बुरी शक्तियां पास नहीं आती हैं ।
धातु से निर्मित कछुआ
राम जन्मभूमि के नवनिर्माण से पहले नीव में धातु से निर्मित कछुआ भी रखा जाएगा। और कछुआ भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक है। भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार लेकर पर्वत को अपनी पीठ पर उठाकर समुद्र मंथन किया था । इसलिए नींव में धातु का निर्मित कछुआ भी रखा जाता है।
पंचरत्न
सोना, पुखराज, माणिक, नीलम और मोती को पंचरत्न कहा जाता है। ज्योतिषियों की माने तो, भूमि में पंचरत्न गाड़ने से भूमि के सभी वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। और सुख-समृद्धि बनी रहती है। राम जन्मभूमि की नीव में नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा नाम की पांच ईंटों की पूजा की जाएगी।
कलश और अन्य चीजें
भूमिपूजन करते समय भूमि में दूध से भरा कलश और कौड़ी, सुपारी भी डाली जाती है। जहाँ कलश को सभी देवताओं का वास माना जाता तो दूध को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है , वहीं कौड़ी को देवी लक्ष्मी की बहन और सुपारी को भगवान श्रीगणेश का प्रतीक माना जाता है ।
इतिहास के पन्नों पर जाने अयोध्या
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बारह योजन लम्बाई और तीन योजन चौड़ाई में पवित्र सरयू नदि के तट पर बसा एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है अयोध्या । प्राचीन काल (Ramayan) के मुताबिक अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी । अयोध्या हिंदुओ के 7 पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है । जिसमें अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची , अवंतिका और द्वारका जैसें स्थान शामिल है । मान्यता है की भगवान राम का जन्म इसी अयोध्या में ही हुआ था ।
इतिहास की माने तो अयोध्या,कोसल राज्य की प्रारंभिक राजधानी थी । गौतमबुद्ध के काल में कोसल के दो भाग हुआ करते थे- उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल और इनके बीच से सरयू नदी बहती थी । वेदों में तो अयोध्या को ईश्वर की नगरी बताया गया है, और इसकी तुलना स्वर्ग से की गई है । अयोध्या मुख्य रूप से हिंदू मंदिरो का शहर है. जैन मत के अनुसार यहां पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था. पहले तीर्थंकर ऋषभनाथ जी, दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ जी, चौथे तीर्थंकर अभिनंदननाथ जी, पांचवे तीर्थंकर सुमतिनाथ जी और चौदहवें तीर्थंकर अनंतनाथ जी का जन्म भी यहीं हुआ था ।
अयोध्या से जुड़ीं कुछ खास बातें
- अयोध्या, यह स्थान ऐतिहासिक महापुरुष श्रीराम का जन्म स्थान (Ram Janmabhoomi) है. शोध अनुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था ।
- भगवान श्रीराम के बाद उनके बेटे लव ने यहाँ श्रावस्ती बसाई और इसका उल्लेख अगले 800 वर्षों तक मिलता है। मान्यता है की श्रीराम के दुसरे पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था । और इसका अस्तित्व सूर्यवंश की 44 पीढ़ियों तक बरकरार रहा ।
- कहते हैं महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़ गई थी लेकिन श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था और लगभग 14वीं सदी तक यह बरकरार रहा।
- इतिहास के तथ्यों की माने तो, मुगल वंश के शासक ‘बाबर’ ने सन् 1527-28 के बीच अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण करवा दिया था । इसलिए बाबर के नाम पर ही इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा गया था ।